इस ब्लॉग में हम बात करेंगे ट्रांसफार्मर वाइंडिंग वाइंडिंग रेजिस्टेंस टेस्ट के उद्देश्य के बारे में।
पहले हम बात करते है की ये टेस्ट किन प्रकार के टेस्ट में करते है तो ये टेस्ट टाइप टेस्ट, रूटीन टेस्ट और फील्ड टेस्ट तीनो में करते है। टाइप टेस्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी कोई एक प्रोडक्ट पे उसकी सही डिज़ाइन कन्फर्म करने के लिए करते है। रूटीन टेस्ट हर एक प्रोडक्ट पर उसके निर्माण की अच्छी कंडीशन और ऑपरेशन परफॉर्मन्स चेक करने के लिए करते है। फील्ड टेस्ट प्रोडक्ट को यूज़ में लेने से पहले और रैगुलर मेंटेनन्स के लिए करते है।
ट्रांसफार्मर के मैन्युफैक्चरिंग, परिवहन, इरेक्शन-कमीशनिंग या मेंटेनेंस के दौरान उसकी वाइंडिंग में कुछ भी नुकशान या असामान्य परिस्थिति अगर हुई है तो उसे खोजने में ये टेस्ट सहायक है। मैन्युफैक्चरिंग के दौरान ट्रांसफार्मर पे वेल्डिंग, कटिंग, हीटिंग, असेंबली जैसे काम होते है। परिवहन में ट्रांसफार्मर को जर्क्स और वायब्रेशन्स लगने की सम्भावना रहती है। इरेक्शन-कमीशनिंग में ट्रांसफार्मर पे लिफ्टिंग, असेंबली आदि काम होते है। मेंटेनेंस में ट्रांसफार्मर पे टेस्टिंग, रूटीन चेकिंग, रिपेरिंग आदि काम होते है। इसलिए इन सभी प्रक्रिया के बाद ट्रांसफार्मर का वाइंडिंग रेजिस्टेंस टेस्ट लेना चाहिए।
जो ट्रांसफार्मर टेप चेंजर वाला है उसमे टेप चेंजर के कॉन्टेक्ट्स की प्रॉब्लम और टेप चेंजर के मैकेनिज्म की प्रॉब्लम इस टेस्ट से खोज सकते है। ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग टेप चेंजर से जुडी होती है इसलिए अगर वाइंडिंग रेसिस्टेन्स की वैल्यू कम मिलती है तो टेप चेंजर में प्रॉब्लम हो सकती है। कुछ टेस्ट किट ऐसी भी आती है जिसे ऑन कंडीशन में रख के अगर हम टेप चेंजर चलाये और अगर करंट इंजेक्शन में गिरावट आये तो उसे ये टेस्ट किट महसूस कर लेती है जिससे हमें टेप चेंजर मैकेनिज्म ख़राब होने का पता लगता है।
ट्रांसफार्मर वाइंडिंग का कोई भी खुला या लूझ कनेक्शन, फेज का शॉर्टिंग या टूटे हुए वाइंडिंग स्ट्रैंड्स को इस टेस्ट से खोज सकते है।
ये टेस्ट लेने से हम कन्फर्म कर सकते है की सभी कनेक्शन ठीक से जुड़े है और टाइट है।
ये टेस्ट ट्रांसफार्मर के I2R लोस गिनने में और वाइंडिंग टेम्परेचर राइज टेस्ट में भी सहायक है
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